Description
गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती के पावन संगम पर, प्रयागराज में महाकुंभकेवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हिंदू चेतना का एक जीवंत महाकाव्य बनकर प्रकट होता है। अमृत की प्राप्ति हेतु किए गए समुद्र मंथन की दिव्य गाथा में निहित यह आयोजन, बारह वर्षों में एक बार, उस स्थान पर घटित होता है जहाँ मिथक, आस्था और काल एक साथ समाहित हो जाते हैं।
महाकुंभ को समझना, सनातन धर्म की चिरंतन धड़कन को महसूस करना है- जहाँ करोड़ों श्रद्धालु मौन आस्था के साथ एकत्र होते हैं, एक प्राचीन सत्य की गूंज बनकर। यह पुस्तक आपको उस पवित्र द्वार तक आमंत्रित करती है- जहाँ दिव्यता पृथ्वी से मिलती है, और पुराणों की सांसें करोड़ों हृदयों में जीवित होती हैं।





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